राजा सलहेस करे गाथा

अपन मिथिला/ आदर्श पुरुष "राजा सलहेस",  अत्यन्त सुंदर, वीर , पराक्रमी , शक्तिशाली और समाज के सहयोग करयवला छलैथ , ताहि लेल हुनकर गिनती देवता के श्रेणी में होइत छैन्ह ! मान्यता छैक की दैवी गुण सs संपन्न अलौकिक पुरुष छलाह । संपूर्ण मिथिला में हिनका जाग्रत देवता के स्थान देल गेल छैन्ह ! मिथिला के गाम घर में बर आ पीपर के गाछ के नीचा हिनकर गहबर बनल रहैत अछि ! गहबर में माटि के बनल किछ मूर्ति होइत अछि , जाहि में भौरानन्द नामक हाथी पर राजा सलहेस बैसल रहैत छैथ, आगा 'मंगला' नाम के महावत सेहो बैसल रहैत अछि ! सलहेस के दाहिना कात घोड़ा पर, भार्इ मोती राम आर बामा कात भार्इ बुधेसर सेहो घोड़ा पर सवार रहैत छैथ ! राजा सलहेस के दुनु तरफ मालिन ठाढ़ रहैत छैथ आ 'केवला-किरात' हाथ में तलवार लेने अंगरक्षक के रूप में रहैत छैथ ! ओना तs हरेक जाति आ वर्ग में हिनकर पूजा होइत छैन्ह , मुदा दुसाध जाति के हेबाक कारण दुसाध जाति में हिनकर विशेष स्थान छैन्ह ! ओना तs  नित्य पूजा के कोनो विशेष प्रावधान नहि होइत छैक , मुदा साल में एक बेर खूब धूम धाम सs हिनकर पूजा होइत छैन्ह जाहि में पूजन सामग्री के रूप में खीर, गांजा, पीनी-तम्बाकू, खैनी, पान-सुपाड़ी, अरबा चाउर , अड़हुलक  फूल, तुलसी दल , जनउ आदि के प्रधानता रहैत अछि ! मंत्र के जगह सलहेस लोक गाथा जे वीर, श्रृंगार, करूणा आदि रस सs परिपूर्ण अछि , गायल जाइत अछि ! एहि लोक देवता के जीवन सs जुड़ल लोक गाथा के  लोक महाकाव्य और लोक महागाथा के रूप में मान्यता प्राप्त अछि ! 


राजा सलहेस के बारे अनेक कहानी कहल गेल अछि ! एक टा प्रचलित कहानी के अनुसार , नेपाल के तराई में महिसौंथा गाम में दुसाध जाति के " वाक मुनि " नामक महात्मा 12 बरख के कठोर तपस्या में लीन छलाह ! इन्द्र लोक सs आयल मायावती नाम के अप्सरा , मुनि के देखि मोहित भेलीह आ मुनि के तपस्या भंग करबा में सफल भs गेलीह ! क्रोधित मुनि के शाप के कारन ओ वापस इंद्रलोक नै जा सकलीह ! मृत्युलोक में अप्सरा के नाम 'मंदोदरी' परल , जिनका तीन पुत्र सलहेस,मोतीराम आ बुधेसर छल , जे महिसौंथा में अप्पन साम्राज्य कायम केलैन्ह ! हिनका एक टा पुत्री बनसप्ति सेहो छलैन्ह , जे जादूगरनी छलीह !  सलहेस के विवाह के लेल क्षत्रिय राजा बराट के पुत्री सामरवती के प्रस्ताव भेजल गेल , जहि सs राजा क्रोधित भs गेलाह और प्रस्तावक के कैद कs लेलैथ ! बाद में मोतीराम और हुनकर भगिना करिकन्हा संग  महिसौंथा के सैन्य बल के आगू बाध्य भेलाह आ विवाह के स्वीकृति देलाह! एक टा दोसर घटनाक्रम में मोरंग के राजा  हिनपति आ मालिन के बेटी "फुलवन्ति" सलहेस सs विवाह के संकल्प लेने छलीह ! सलहेस के विवाह के खबर सुनि फुलवन्ति अप्पन चारु बहिन (सब बहिन जादूगरनी छलीह) के संग जा , विवाह के लेल भौरानन्द हाथी पर बैसल सलहेस के  सुग्गा बन कs कैद कs लेलीह !

 मोतीराम के पता लगला पर ओ फेर सs पांचो बहिन सs सलहेस के छोड़ा लेलैथ ! विवाह के राति कोहबर सs जादू के बल फेर पांचो बहिन सलहेस के उड़ा लेलैथ , मुदा सामरवती के विश्वास दिएला पर की विवाह पश्चात ओ महिसौंथा पहुँचि , सलहेस के वापस मोरंग भेजि देतीह , पांचो बहिन सलहेस के छोरि देलैथ ! सामरवती के कहला पर सलहेस मोरंग पहुँचलैथ और अनेकों घटनाक्रम के बाद पांचो बहिन के अपना प्रति स्नेह देखि सलहेस वचन देलैथ जे कलियुग में हमरा संग अहूँसब के पूजा हायत !    


 महिसौथा गढ़ सs 6-7 मील दूर , राजा सलहेस की फुलवाड़ी के  अवशेष अखनो अछि , जहां जूर-शीतल के अवसर पर विशाल मेला के  आयोजन होइत अछि ! एहि दिन एक टा सुंदर विशेष पुष्प, मात्र एक दिन के लेल खिलैत अछि !।

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